
गोवा से दिल्ली आ रही IndiGo Airlines की फ्लाइट में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एक 34 वर्षीय विदेशी महिला यात्री अचानक बेहोश होकर गिर पड़ी।
हजारों फीट ऊपर, सीमित मेडिकल संसाधनों के बीच यह स्थिति कुछ ही मिनटों में जानलेवा बन सकती थी।
लेकिन उसी फ्लाइट में मौजूद थीं कांग्रेस की पूर्व विधायक और पेशे से डॉक्टर अंजलि निंबालकर—और यहीं से कहानी ने मोड़ लिया।
“Is there any doctor on board?”
फ्लाइट के पायलट ने मेडिकल इमरजेंसी की घोषणा करते हुए यात्रियों से पूछा कि क्या कोई डॉक्टर मौजूद है।
अंजलि ने तुरंत क्रू को अपनी पहचान बताई। क्रू ने जानकारी दी कि जेनी नाम की महिला बेहोश है और सीट पर प्रतिक्रिया नहीं दे रही।
अंजलि बिना वक्त गंवाए क्रू के साथ जेनी के पास पहुंचीं।
CPR से लौटी जिंदगी
जांच के बाद अंजलि ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए CPR देना शुरू किया। कुछ ही देर में जेनी को होश आने लगा। इसके बाद केबिन क्रू ने उसे oral electrolyte solution पिलाया। कई बार इलाज दवाओं से नहीं, सही समय पर सही हाथों से होता है।
आधे घंटे बाद फिर बिगड़ी हालत
मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। करीब आधे घंटे बाद जेनी को फिर:
- घबराहट
- शरीर में कंपन
- बेचैनी
शुरू हो गई। इस बार अंजलि ने उसका हाथ थामकर breathing exercises कराईं, जिससे उसकी हालत दोबारा स्थिर हुई। अंजलि पूरे सफर के दौरान जेनी के पास बैठी रहीं—एक डॉक्टर नहीं, एक इंसान की तरह।
दिल्ली एयरपोर्ट पर पहले से तैयार थी एंबुलेंस
केबिन क्रू ने लगातार Chief Pilot को स्थिति से अवगत कराया। दिल्ली एयरपोर्ट पर रनवे पर एंबुलेंस तैयार थी। लैंडिंग के तुरंत बाद जेनी को अस्पताल ले जाया गया। समय पर फैसला, सही इलाज और इंसानियत—तीनों ने मिलकर एक जान बचा ली।

“You gave me a second life”
अस्पताल ले जाने से पहले जेनी ने अंजलि का हाथ पकड़कर कहा “Thank you for giving me a second life.”
जेनी ने बताया कि वह California से आई है और अपनी बहन के साथ दिल्ली में एक शादी में शामिल होने जा रही थी। फ्लाइट टेकऑफ के करीब 10 मिनट बाद ही उसे घबराहट हुई और वह बेहोश हो गई।
उसकी बहन डर से टूट चुकी थी—लेकिन अंजलि की मौजूदगी ने हालात संभाल लिए।
राजनीति ज़मीन पर, इंसानियत आसमान में
आज के दौर में जहां फ्लाइट में सीट को लेकर बहस। मोबाइल चार्जर पर झगड़ा।
वहीं इस फ्लाइट में कोई पार्टी नहीं—सिर्फ एक डॉक्टर और एक जान थी।
यह खबर सिर्फ एक मेडिकल इमरजेंसी की नहीं, बल्कि याद दिलाती है कि डिग्री सिर्फ कागज नहीं होती। जिम्मेदारी पद से बड़ी होती है। और इंसानियत की कोई ऊंचाई नहीं होती।
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